अभ्यास : समस्त प्रकार के योगाभ्यासों का भी उद्देश्य यही है कि शरीर पूर्ण रूप से लचीला निरोग हो जायें, तभी उत्तम स्वास्थ्य, आर्कषक प्राप्त होगा, योगाभ्यास से प्राप्त चमक-दमक, सौन्दर्य, स्वास्थ्य, स्थायी सत्य होता है, जो किसी भी प्रकार के कृत्रिम संसाधनों से कदापि प्राप्त नही किया जा सकता है।
सावधान मुद्रा में आसन पर खडे़ हो जाये दोनो पैरो के बीच लगभग 6 इंच का फासला हो, दोनो हाथो को सीधे ऊपर की ओर ले जायें कुछ क्षण रूकने के बाद धीरे-धीरे दोनो हाथो को नीचे की ओर लायें तथा दोनो पैरों के अंगुठे को ( बायें हाथ से बायें पैर का अंगुठा, दाहिने हाथ से, दांये पैर के अंगुठा ) छुयें ।
इस दशा में दोनो पैरों को के घुटने बीच से मुड़े नहीं, अर्थात दोनो पैर बिल्कुल सीधे रहे कुछ क्षण रूकने के बाद दोनो हाथों से दोनो पैरो के अंगुठे को छुये, इस प्रकार इस क्रिया को 5-6 बार करें। कमर को लचीला, कमनीय,एवं विशेषतः टांगोंको सुन्दर, छरहरा बनाता है। इस प्रसिद्ध अभ्यास को 'पादांगुष्ठासन' कहते है।
लाभ : इस अभ्यास से रीढ़ की हड्डी आगे की ओर झुकती है,पृष्ठ भाग का खींचाव होता है, गले की मांस पेशियों के खींचाव होने से गला सुन्दर, छरहरा होता है, अतिरिक्त चर्बी हट जाती है। पैरो के किसी प्रकार के दर्द, साइटिका दर्द में निश्चित ही आराम होता है, आगे की तरफ झुकने से उदर प्रदेश का खूब अभ्यास होता है।
सावधानी : नये अभ्यासी, इस अभ्यास में हाथों से पैरों के अंगूठें को बिल्कुल भी नही छू पाते हैं, अतः निराश न हों, धीरें-धीरें अभ्यास करें जितना छू सकते है, उतना ही ही करें, शीघ्रता न करें, अधिक निकला हुआ पेट भी इस प्रयास में बाधक है, अतः धीरे-धीरे अभ्यास करे ।
Yoga demonstrated by - Ajay Srivastava (DNYS, MD-AM)
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Niyam,Savdhaniya for yoga practitioner
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