अभ्यास : मोटा, थुलथुल, कमर, शरीर को भद्दा, बना देता है, साथ ही साथ रोगो को निमंत्रण भी देता है। महिलाओं में बढ़ा हुआ कमर, उनका सौन्र्दय नष्टकर, शरीर को शीथिल, आलसी बना देता है, कार्य करने की शक्ति भी नष्ट होती है। यदि कमर थुलथुल मोटा है तो वे सदैव आकर्षण हीन नजर आते हैं। अतः शरीर,कमर पर सदैव ध्यान ध्यान देना चाहिये। शलभासन भी धनुरासन की तरह ही पीछे मुड़ने वाला योगासन है ।
पेट के बल आसन पर लेट जायें, दोनो पैरों को आपस में मिला कर रखें, दोनो हाथों को जाघों से लगाकर रखे, सिर भी बिल्कुल सीधा रहे। अब कमर पर थोड़ा बल देकर, दोनों पैरों को मिले हुये ही ऊपर थोड़ा सा उठायें, कुछ क्षण बाद नीचे आ जायें, पुनः पैरों को ऊपर ले जायें इस प्रकार, इस क्रिया को 4-5 बार करें। इस आसन को ‘शलभासन’कहते है।
लाभ :अभ्यास आपको निष्चित ही सुन्दर, छरहरा, आर्कषक, बनाता है। साथ ही आपको स्वस्थ, निरोग रखते हैं, यह अभ्यास कमर, उदर क्षेत्र को बहुत लाभ पहुंचाता है। इससे कमर लचीली, पतली होती है, साथ ही अनेक प्रकार के उदर रोगों में भी लाभकारी है। यह अभ्यास कमर, उदर, छाती, पैर, गला आदि अंगो का विशेष अभ्यास कराता है।
इस अभ्यास से कमर अवश्य लचीली, छरहरी होती है, नये अभ्यासियों के लिये यह एक कठिन अभ्यास है, धीरे-धीरे सुलभ होता है। रीढ़ के विकार में इस अभ्यास को नही करना चाहिये या योग प्रशिक्षक के देख-रेख में करना चाहियें। इसे नित्यप्रति करने से षरीर अति सुन्दर, स्वस्थ्य हो जाता है।
सावधानी : इस कठिन अभ्यास को धीरे-धीरे सावधानीपूर्वक करें, झटके, शीघ्रता से कदापि न करें। रीढ़ के गम्भीर हड्डी रोगी इस अभ्यास को न करें, इस प्रकार उदर क्षेत्र,गले आदि में शल्य हुआ हो तो भी इस 'शलभासन' का अभ्यास बिना चिकित्सक, योग प्रशिक्षक के सलाह के न करें।
Yoga demonstrated by - Ajay Srivastava (DNYS, MD-AM)
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